सुशासन के नाम पर तथा जंगलराज को खत्म करने के वादे के साथ जदयू नेता नीतीश कुमार 2005 में जो सत्ता में आये, तो वो अगले चुनावों में भी जनता ने उनका साथ नहीं छोड़ा।
New Delhi, Nov 10 : 2015 के विधानसभा चुनावों में एग्जिट पोल के अनुमान जनता का मूड भांपने में नाकाम रहे थे, इस साल बीजेपी ने जदयू से अलग दूसरी पार्टियों के साथ चुनाव लड़ा था, जबकि नीतीश खुद राजद से जा मिले थे, पोल्स के अनुमान के मुताबिक कांटे की टक्कर बताया जा रहा था, लेकिन हुआ उल्टा, जदयू-राजद और कांग्रेस के महागठबंधन ने बीजेपी को जबरदस्त शिकतस्त दी थी।
जनता 15 साल से साथ
सुशासन के नाम पर तथा जंगलराज को खत्म करने के वादे के साथ जदयू नेता नीतीश कुमार 2005 में जो सत्ता में आये, तो वो अगले चुनावों में भी जनता ने उनका साथ नहीं छोड़ा, हालांकि उसके बाद बीजेपी से नीतीश के तनाव सामने आने लगे, तो जदयू लालू यादव की पार्टी राजद के साथ महागठबंधन में शामिल हो गई।
2015 का परिणाम
इस साल 5 चरणों में हुए चुनाव नतीजों का ऐलान 8 नवंबर को किया गया, जिसमें बड़ी कामयाबी पाते हुए राजद ने कुल 80 सीटों पर जीत हासिल की थे, ये 18.8 फीसदी वोट शेयर था, यानी एक बार फिर लालू के पक्ष में लहर थी, नीतीश की पार्टी जदयू भी टक्कर में रही, उसने 71 सीटों पर जीत हासिल की, 17.3 फीसदी वोट मिले, कांग्रेस ने भी दूसरे चुनावों से काफी बेहतर प्रदर्शन करते हुए 27 सीटें पा ली थी, ये साल 2010 के चुनावों से उपजी शर्म को काफी हद तक खत्म करने वाला रहा, जिसमें कांग्रेस को सिर्फ 4 सीट मिले थे।
लड्डू तैयार थे
दूसरी ओर बीजेपी को 53 वोट मिले थे, ये नतीजे पोल से पूरी तरह से विपरीत थे, पोल्स के मुताबिक एनडीए बहुमत के करीब पहुंचने वाली थी, यहां तक कि उस बार पार्टी ऑफिस में लड्डू तैयार हो चुके थे और काउंटिंग से पहले ही पटाखे भी फूटने लगे थे, लेकिन नतीजे आये, तो एग्जिट पोल्स गलत निकले, जितनी सीटें एनडीए को दी जा रही थी, इतनी नीतीश की अगुवाई वाला महागठबंधन बटोर ले गया।