खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग NFASA के तहत सभी राशन कार्ड लाभार्थियों की पहचान करने के लिए साल 2013 से 4.39 करोड़ फर्जी राशन कार्डों को रद्द करने का फैसला किया है। अपने इस फैसले के तहत रद्द किए गए राशन कार्डों के बदले में सही और योग्य लाभार्थियों को नियमित रूप से राशन कार्ड जारी किए जाएंगे।

साथ ही देशभर में प्रौद्योगिकी समर्थित पीडीएस सुधार लाने के तहत लक्षित अभियान के तहत NFASA को लागू करने की तैयारी के दौरान सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को आधुनिक बनाने और इसके परिचालन में पारदर्शिता और कुशलता लाने की ओर सरकार कदम उठा रही है।

दरअसल सरकार ने साल 2013 के बाद के राशन कार्ड को रद्द करने का फैसला राशन कार्ड और लाभार्थियों के डेटाबेस का डिजिटाइजेशन करने और उसे आधार कार्ड से जोड़ने, अपात्र या फर्जी राशन कार्ड की पहचान करने, डिजिटाइजेशन किए गए डाटा के दोहराव को रोकने तथा लाभार्थियों के दूसरे जगह चले जाने जा उनकी मृत्यु हो जाने की पहचान करने के तहत कर रही है।

इसके बाद राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने 2013 से 2020 तक की आयु अवधि में देश में कुल करीबन 4.39 करोड राशन कार्ड को रद्द करने का फैसला किया है। इसके साथ ही NFASA कवरेज को जारी किया गया संबंधित कोटा संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नियमित रूप से लाभार्थियों की सही पहचान के उपयोग के लिए किया जा रहा है। इसके तहत इसमें लाभार्थियों के साथ-साथ उनके परिवार का नाम भी शामिल होगा।

बता दे कि NFASA के तहत 81.35 करोड़ लोगों को बेहद कम कीमत में खाद्य उपलब्ध कराया जा रहा है। साल 2011 की जनगणना के तहत देश की जनसंख्या का दो तिहाई हिस्सा वर्तमान में देश के 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को केंद्र द्वारा जारी बेहद कम दाम में खाद्य उपलब्ध करा रहे है।