बिहार: माउंटेन मैन दशरथ मांझी को तो सभी जानते होंगे, जिनकी कहानी हौसले की मिसाल कायम करती है. मगर आज हम बात करेंगे ऐसे ही किसी आम इंसान की जिन्हे दशरथ मांझी की राह अपनाने की वजह से दूसरा दशरथ मांझी कहकर पुकारा जाता है.
हम बात कर रहे हैं, बिहार के गया में पढ़ने वाले केवटी गांव के रहने वाले रामचंद्र यादव की. जिन्होंने कबीरपंथ अपनाया था और आज इसी कारण उन्हें रामचंद्र दस नाम से भी जाना जाता है.
सूत्रों के मुताबिक, रामदास ने दशरथ मांझी की राह पर चलते हुए 1993 में पहाड़ काटना शुरू किया था और 2008 तक लम्बी चौड़ी सड़क बनाने में कामयाब भी रहे. उन्होंने सालों-साल मेहनत कर, पहाड़ काट कर 10 मीटर लम्बी सड़क बनाकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा.

रामदास की बनाई सड़क ने केवटी, गनौखर आदित्य और ततुरा जैसे कई गांवो को पास लाने जैसा बड़ा काम किया और आज भी लोग उनकी बनाई सडकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनके इस काम से खुश है.

रामदास जी की बीती जिंदगी पर चर्चा करें तो वह अपनी जवानी के दिनों में ट्रक चलाया करते थे और वह अपने ट्रक को गांव लाना चाहते थे, मगर सड़कों के निर्माण न होने के कारण वह इसे करने में असफल रहे. इसी वक़्त उन्होंने तय किया कि वह कुछ भी करके सड़क बनाकर ही दम लेंगे और इसीलिए उनकी अड़चन बने सभी पहाड़ों को उन्होंने काट दिया.
रामदास जी हर दिन पांच से दस मन पत्थर फोड़ देते थे, जिससे धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ता चला गया और उन्होंने कई किलोमीटर लम्बी सड़क बनाने में कामयाबी हासिल की. इन दिनों रामदास जी अपने परिवार के लिए और समाज के लिए प्रेरणा बने घूम रहे हैं.