बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी बिगुल बज चूका है और ऐसे में सभी पोलिटिकल पार्टी अपनी कुर्सी मज़बूत करने में बिजी है फ़िलहाल तो देखना यह होगा कि किसकी कुर्सी होगी और किसके सर सजेगा बिहार का तमगा. बिहार की बात आएं और लालू प्रसाद यादव की चर्चा न हो ऐसा हो ही नहीं सकता.
आज के इस चुनावी मंज़र को देखते हुए 90 के दशक के उन पुराने किस्से कहानियों की हम बात करेंगे जहां बिहार के दिग्गज नेता RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव और गुजरात के कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अफसर गुजरात कैडर के 1984 बैच के राकेश अस्थाना के बीच तनाव का माहौल बनता दिखाई दे रहा था.

चारा घोटाला को लेकर जेल की सलाखों के पीछे लालू को पहुंचने में गुजरात के कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अफसर गुजरात कैडर के 1984 बैच के राकेश अस्थाना का ही हाथ है. राकेश अस्थाना के सीबीआई टीम में रहते ही लालू पर चारा घोटाला का शिकंजा कसा गया था. राकेश के हाथ लालू और उनके परिवार की बेनामी संपत्ति लग गई थी और साल 2006 में लालू के रेल मंत्री रहते, रेलवे के दो होटलों की नीलामी में गड़बड़ी मिलने पर जांच की ज़िम्मेदारी भी थी.

सच सामने आया कि होटल लीज पर लेने के बदले वहां 65 लाख में 32 करोड़ की ज़मीन ली गई है. तब आपराधिक और धोखाधड़ी के केस में आईपीसी की धारा 420 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया. सीबीआई जाँच के दौरान यह पाया गया कि लालू तब रेल मंत्री थे और रेलवे के दो होटलों को आईआरसीटीसी को सौंपा गया और इनकी देखभाल के लिए टेंडर इशू हुए जिसको बाटने में गड़बड़ी पाई गई.

राकेश अस्थाना संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास के ख़ास थे. विश्वास ने अपनी सुई लालू की तरफ मोड़ रखी थी. मगर किसी को समझ नहीं आया कि लालू सामने क्यों नहीं आने चाहते, तभी एक दिन किसी नेता के कहने पर बिहार सरकार के एक अफसर ने अस्थाना के एक अफसर से मुलाक़ात की और इस मुलाक़ात में समझ आया कि लालू को उनके समर्थक सीबीआई से मिलने देना नहीं चाहते हैं और वह उन्हें रोक रहे हैं.
क्यूंकि, RJD दल के कुछ नेता डरे हुए थे, उन्होंने राकेश अस्थाना के टार्चर करने का बुरा तरीका सुन रखा था. वह पूछताछ के दौरान पीटते तो हैं ही… पैजामे के अंदर चूहे ओर छोड़ देते हैं साथ ही मिर्च वाला खाना खिलाकर पानी भी नहीं देते.

लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे और सूरत में रेल दुर्घटना के दौरान लालू बतौर मंत्री दुर्घटना स्थल पर पहुंचे. उन्हें इस बात की ज़रा भी भनक नहीं पड़ी कि अस्थाना वहां पुलिस कमिशनर मौजूद थे. अचानक अस्थाना को देख, लालू चिल्लाने लगे और इस बीच वहां खड़े युवको ने उनपर बर्फ के पत्थर जैसे टुकड़े फैकने शुरू कर दिए. लालू घबरा गए और भागे. दिल्ली वापस लौटकर उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें मारना चाहते हैं.

लालू ने जेल की सलाखों से बरी होने की लाख कोशिश की, मगर वह असफल रहे. कई साल वनवास काटने के बाद पिछले विधानसभा चुनावों में लालू प्रसाद यादव का समय आने ही वाला था कि अस्थाना फिर से प्रकट हो गए और चारा घोटाले केस को लेकर जांच करने लगे. दूसरी तरफ मोदी सरकार आ चुकी थी और अस्थाना की प्रधानमंत्री मोदी से बढ़ती नज़दीकियों की वजह से लालू जी के मन में उनका खौफ और भी ज़्यादा बढ़ गया.