कहते है किस्मत बदालते देर नहीं लगती, ऐसा ही एक पुलिस अफसर के साथ भी हुआ. हाल ही में उप चुनाव ड्यूटी के दौरान डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और सीएसपी विजय सिंह भदौरिया का सामना पुलिस के 1999 बैच के शार्प शूटर मनीष मिश्रा से हुआ था, जिनकी हालत भिखारी से कम नहीं थी.
वह इन दिनों गुड़ा गुड़ी नाका में बने स्वर्ग सदन आश्रम मे अपना इलाज करा रहे हैं लेकिन पुलिस के 1999 बैच का होनहार अफसर आज कैसे हालातों से गुज़र रहा है इसका कोई अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता है.

मनीष के बड़े भाई गुना जिले में बतौर थाना प्रभारी हैं उनका नाम उमेश मिश्रा है और उन्होंने मनीष की ज़िन्दगी से जुड़े कुछ अहम पन्नो का ज़िक्र करते हुए मीडिया से बातचीत करते हुए बताया है कि मनीष ने बतौर काबिल अफसर के रूप में शुरुआत की थी. इसी के साथ उन्हें दबंग अफसर भी कहा जाता था. मनीष अपने काम को लेकर चर्चाओं में रहा करते थे, लेकिन आज वह जिस हालत में हैं उसके पीछे मनीष और उनकी पत्नी का तलाक होना बताया जा रहा है.
बता दें, मनीष की पत्नी न्यायिक सेवा में पदस्थ हैं. शादी के बाद ही वह तैयारी में जुट गई थी जिससे न्यायिक सेवा में उनका चयन हो गया था. मनीष के जीवन में सभी घटनाए एक साथ ही हुई, जिसके चलते उनका यह हाल हो गया. वह अंदर से टूट ही चुके थे इसीलिए उनका मानसिक संतुलन भी बिगड़ गया. मनीष के सामने जब भी उनकी पत्नी का ज़िक्र होता है तो वह होश खो बैठते हैं.

मनीष के भाई उमेश ने बताया कि वह जहां भी ड्यूटी पर पदस्थ थे, मनीष उनके साथ ही रहे हैं और उन्होंने उनका इलाज भी करवाया है. बीते साल 2019 में दीपावली भी मनीष ने उनके ही घर में साथ मनाई थी मगर वह गायब हो गए. मैने उसे खोजने की कोशिश की तब पता चला वह ग्वालियर में नज़र आया है, लेकिन चुनाव ड्यूटी के चलते उसे ढूढ़ने नहीं जा सके. मगर वह जल्द ही अपने भाई मनीष से मिलने ग्वालियर आने वाले हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि मनीष का अगर लगातार 3 महीने इलाज किया जाए, तो वह पूरी तरह पहले जैसे हो जायेंगे. हालांकि, मनीष के सामने जब भी उनकी पत्नी का ज़िक्र होता है तो वह उनकी सेहत के लिए ज़रा भी ठीक नहीं रहेगा. क्यूंकि कही न कही मनीष की इस हालत की ज़िम्मेदार वहीं हैं.
स्वर्ग सदन आश्रम के संचालक विकास गोस्वामी का कहना है कि मनीष अक्सर अपने बैच के पुलिस अधिकारीयों से फ़ोन पर वीडियो कॉल के ज़रिए बात चीत करते हैं. वहीं आश्रम संचालक ने मनीष के पुराने जीवन के बारे में भी पता लगाया है. उन्होंने बताया… मनीष कुछ लोगों के बीच सट्टे वाले बाबा के रूप में भी पहचाने जाने लगे थे.

मनीष के जीवन का एक वक़्त ऐसा भी रहा है जब लोग उनके पास सट्टे की पर्ची का नंबर जानने के लिए पहुंचने लगे थे और उनका बताया नंबर सही निकल जाने पर उनको यह नाम दिया गया था. आज भी मनीष की मदद के लिए वह तमाम लोग उन्हें कपडे, खाना देने के लिए आश्रम आते हैं और कोशिश करते हैं कि उनसे एक बार फिर सट्टे के नंबर को जान सके.
आश्रम संचालक ने तंग आकर डीएसपी रत्नेश तोमर से इसकी शिकायत की. जिसके बाद उन सभी लोगों को आश्रम ने ना आने की हिदायत दी. बता दें, डीएसपी रत्नेश तोमर मनीष के बैच से ही हैं.
रत्नेश बतौर डीएसपी ग्वालियर में पदस्थ है. उन्होंने बताया कि मनीष की बहन भी हैं, उनकी बहन मंजुला मिश्रा चीन दूतावास में पदस्थ हैं. फिलहाल तो उनके भाई उमेश उनसे मिलने ग्वालियर आने वाले हैं मगर उनकी बहन कबतक उनसे मिलने आएंगी इसकी जानकारी अभी तक डीएसपी रत्नेश तोमर ने नहीं दी है.