भारत और पाकिस्तान में चर्चित करतारपुर कॉरिडोर एक बार फिर सुर्खियों का केन्द्र बन गया है। दरअसल अब पाकिस्तान ने इस इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) को गुरुद्वारे का मैनेजमेंट सौंपा है। बता दे अब तक इसका प्रबंधन पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (PSGPC) के पास था। वहीं अब इस मामले पर भारत ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन एक गैर-सिख संस्था को सौंपने का कड़ा विरोध किया है।

बता दे भारत की ओर से गुरूद्वारे के पहले जत्थे में पंजाब के विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्रियों में हरसिमरत कौर व हरदीप सिंह पुरी शामिल हुए थे। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस पहले जत्थे की अगुवाई की थी।

भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह अपना यह फैसला वापस ले क्योंकि पवित्र करतारपुर साहिब के मामलों को संभालने का जिम्मा सिख अल्पसंख्यक समुदाय का है। आइये दिखाते है करतारपुर साहिब गुरूद्वारे की खूबसूरत तस्वीरें…

करतारपुर गलियारा को हमेशा बेहद खूबसूरत और नई साज-सज्जा के साथ सजाया जाता है।

साथ ही यात्रियों के धार्मिक कार्यकलाप के लिए गुरुद्वारे में दीवान स्थान की नई दोमंजिला इमारत बनाई गई है।

गुरुद्वारा परिसर में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के साथ संग्रहालय व पुस्तकालय बनाए गए हैं।

गुरुद्वारे में बाबा गुरु नानक से जुड़ी चीजों और बेशकीमती तस्वीरों को रखा गया है।

करतारपुर गुरुद्वारे के कारण अब दोनों देशों के लोगों को इस यात्रा के लिए वीज़ा की ज़रूरत नहीं है।

बता दे कि करतारपुर साहिब पाकिस्तान में आता है, लेकिन इसकी भारत से दूरी महज़ साढ़े चार किलोमीटर की है।

वहीं धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे और उन्होंने अपनी ज़िंदगी के आख़िरी 18 साल यहीं गुज़ारे थे।

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक के आखिरी स्थल के तौर पर इस गुरूद्वारे की स्थापना की गई है।

धर्म गुरूओं की माने तो करतारपुर में जिस जगह गुरु नानक देव का देहावसान हुआ था वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था।